सुनील कुमार की बातचीत: केदार रोक क्यों नहीं पाए देवभूमि में तबाही का तांडव, सुनें चश्मदीद गवाह से...
ऐसे बहुत से सवालों को लेकर एक पर्यावरण-पत्रकार हृदयेश जोशी से बात की गई जिन्होंने 2013 की उस विनाशकारी बाढ़ से आई तबाही को घूम-घूमकर देखा था।

रायपुर । केदारनाथ त्रासदी को दस बरस पूरे हो रहे हैं। इस बरसी पर यह सोचने की जरूरत है कि वह प्राकृतिक विपदा थी, या उसमें इंसानों का भी योगदान था?
ऐसे बहुत से सवालों को लेकर एक पर्यावरण-पत्रकार हृदयेश जोशी से बात की गई जिन्होंने 2013 की उस विनाशकारी बाढ़ से आई तबाही को घूम-घूमकर देखा था।
उन्होंने उस वक्त रिपोर्टिंग की थी, फिर एक महत्वपूर्ण किताब लिखी थी। उसके दस बरस बाद उनकी किताब का नया संस्करण बीच की तमाम घटनाओं के साथ आ रहा है।
देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड किस तरह बारूद के ढेर पर या ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा हुआ है, इस पर इस अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के संपादक सुनील कुमार ने उनसे बातचीत की है, सुनें उनके जवाब।